Friday, 13 May 2022

पुतिन के कहर के डर से घबराया जापान, रूस के खिलाफ बना रहा 'नाटो', सेना कर रही जंगी तैयारी

 पुतिन के कहर के डर से घबराया जापान, रूस के खिलाफ बना रहा 'नाटो', सेना कर रही जंगी तैयारी


टोक्‍यो: यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अब जापान को भी व्‍लादिमीर पुतिन के कहर का डर सताने लगा है। जापान और रूस के बीच द्वीपों को लेकर सीमा विवाद चल रहा है और अक्‍सर तनातनी की खबरें आती रहती हैं। पूर्वी एशिया में अमेरिका का घनिष्‍ठ सहयोगी देश जापान अब गुपचुप तरीके से अपने दोस्‍तों के साथ सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने में जुट गया है। जापान ने 6 मई को ब्रिटेन के साथ अचानक से रक्षा समझौते का ऐलान किया। इससे पहले उसने इसी तरह का रक्षा समझौता जनवरी महीने में ऑस्‍ट्रेलिया के साथ किया था। इस तरह से जापान अपनी रक्षा के लिए पूर्वी एशिया में अपना 'नाटो' बनाने में जुट गया है।


यही नहीं जापान अब दक्षिण पूर्व एशिया की तरफ भी अपने कदम बढ़ा रहा है। जापान ने 2 मई को थाइलैंड के साथ एक रक्षा समझौते पर हस्‍ताक्षर किया था। जापान के प्रधानमंत्री फूमिओ किश‍िदा ने पिछल हफ्ते लंदन में चेतावनी दी थी कि यूक्रेन की तरह से कल को पूर्वी एशिया का भी हाल हो सकता है। रूस का आक्रामक अभियान केवल यूरोप के लिए मुद्दा नहीं है। हिंद-प्रशांत का इलाका भी दांव पर लगा है।' स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पूर्वी एशियाई मामलों के विशेषज्ञ डेन स्‍नेइदर ने एशिया टाइम्‍स से कहा, 'जापान सुरक्षा के मामले में इतना ज्‍यादा व्‍यस्‍त है कि जितना मैंने पहले कभी नहीं देखा था।'

जापान ने ब्रिटेन, ऑस्‍ट्रेलिया, थाइलैंड के साथ किया रक्षा समझौता

रूस के खिलाफ यूक्रेन को हथियारों की सप्‍लाइ को लेकर अमेरिका की ओर से जर्मनी में बुलाए गए सम्‍मेलन में सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के साथ जापान भी शामिल हुआ था। जापानी प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत शुरू की है और जापानी अधिकारी के मुताबिक इस रक्षा समझौते से नीतियों में सुधार होगा, संयुक्‍त अभियान चलाने के लिए कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया बनेगी और अभ्‍यास होंगे।' ब्रिटेन और जापान दोनों ही अपनी सैन्‍य ताकत को बढ़ा रहे हैं। ब्रिटेन नए एफ-35 फाइटर जेट का इस्‍तेमाल करता है, जो पहले से जापान के पास है। वहीं जापान भी अपने दो युद्धपोतों को एयरक्राफ्ट कैरियर में बदल रहा है।

जापान और ब्रिटेन दोनों ही हिंद प्रशांत क्षेत्र को स्‍वतंत्र और मुक्‍त बनाए रखने पर काम कर रहे हैं। जापान इसी तरह का समझौता ऑस्‍ट्रेलिया के साथ कर चुका है। इससे पहले ऑस्‍ट्रेलिया ने ब्रिटेन और अमेरिका के साथ मिलकर ऑकस सैन्‍य समझौता किया था। इस समझौते के बाद अब ऑस्‍ट्रेलिया को अत्‍याधुनिक परमाणु पनडुब्‍बी मिलेगी। इसके अलावा जापानी पीएम किश‍िदा ने दो मई को थाइलैंड के साथ एक समझौता किया है जिससे वह बैंकाक को अत्‍याधुनिक रक्षा उपकरण और तकनीकी देगा। जापान का अभी मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलीपीन्‍स के साथ भी रक्षा समझौते करने की योजना है।

अमेरिका का करीबी है जापान, नौसेना के पास हैं कई
घातक युद्धपोत

आसियान के इन देशों का दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ विवाद चल रहा है। जापान का चीन के साथ भी द्वीपों को लेकर विवाद चल रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक इन समझौतों के जरिए जापान अपने रक्षा उद्योग को मजबूत करना चाहता है जो अभी उसकी अर्थव्‍यवस्‍था में बहुत कम स्‍थान रखते हैं। साल 2014 में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के सेना और कूटनीतिक रिश्‍तों को मजबूत करने के वादे के बाद से ही जापान ऐक्‍शन में है। हाल ही में शिंजो अबे ने ताइवान को लेकर सरकार से अपील की थी कि वह ताइवान की रक्षा के लिए एक रुख अपनाए। जापान सिर्फ बात नहीं कर रहा है, बल्कि उसकी नौसेना बहुत मजबूत है। उसके युद्धपोतों में एजिस मिसाइल सिस्‍टम लगे हैं। उसके पास सबमरीन और एंटी सबमरीन हथियार मौजूद हैं। अमेरिका के साथ जापान की बेहद नजदीकी है और चीन के साथ उसकी सैन्‍य, आर्थिक और राजनयिक प्रतिस्‍पर्द्धा चल रही है।

(स्रोत: नवभारत टाइम्स)

No comments:

Post a Comment