हस्तिनापुर : 1977 के बाद लगातार दो बार कोई नहीं जीता, इस बार कौन रचेगा इतिहास
मेरठ : महाभारतकालीन हस्तिनापुर (Hastinapur Seat) की चुनावी 'महाभारत' पर सबकी निगाहें टिकी है। आंकड़े भी इस ओर इशारा करते हैं कि जिस पार्टी के कैंडिडेट ने इस सीट पर चुनावी जंग जीती, सूबे के 'सिंहासन' पर राज उसी दल ने किया। इस बार योगी के मंत्री दिनेश खटीक के लिए दो मिथक तोड़ने की चुनौती भी रहेगी। एक इस सुरक्षित सीट से लगातार दो बार कोई विधायक नहीं चुना गया और दूसरे हस्तिनापुर से जीतकर जो विधायक मंत्री बना उसके दल की सरकार जाती रही। इसलिए सबकी निगाह हस्तिनापुर सीट पर लगी है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि पुरानी परंपरा जारी रहेगी या कोई नया इतिहास बनेगा।
फिलहाल हस्तिनापुर की चुनावी चौसर पर फिर शह-मात का खेल शुरू हो चुका है। यहां से बीजेपी ने अपने विधायक और मंत्री दिनेश खटीक को ही प्रत्याशी बनाया है। एसपी-आरएलडी गठबंधन ने पिछले चुनाव में बीएसपी से लड़े योगेश वर्मा को कैंडिडेट बनाया है। बीएसपी ने नए चेहरे कारोबारी संजीव जाटव को टिकट दिया है। कांग्रेस ने मॉडल और अभिनेत्री अर्चना गौतम को प्रत्याशी बनाया है।
जानकारी के अनुसार, 2007 में हस्तिनापुर सीट पर योगेश वर्मा बीएसपी से जीते तो मायावती सीएम बनीं। 2012 में एसपी से प्रभुदयाल वाल्मीकि एमएलए बने, तब अखिलेश यादव सीएम की कुर्सी पर बैठे। 2017 में बीजेपी से दिनेश खटीक यहां से जीते और योगी सरकार बनी। 1957 से 1967 तक इस सीट पर कांग्रेस के विधायक जीते और यूपी में कांग्रेस की सरकार बनी। इससे पहले 1974, 1980 और 1985 में कांग्रेस के विधायक जीते और तब भी सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी। बीजेपी और जनता दल आदि के जब विधायक जीते तब उनकी ही पार्टी की सरकार बनी।
(स्रोत : नवभारत टाइम्स)
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