एक ने 10 तो दूसरी ने 6 बच्चे पैदा किए! सरोगेसी के धंधे में फंसकर जबरदस्ती मां बन रहीं झारखंड की बेटियां
बाल अधिकार कार्यकर्ता बैद्यनाथ कुमार बताते हैं कि इस सब के पीछे दिल्ली की प्लेसमेंट एजेंसियां सबसे बड़ा दोषी हैं. झारखंड सरकार को दिल्ली सरकार पर ये दबाव बनाना चाहिए कि वहां चल रहे सारी अवैध प्लेसमेंट एजेंसी को बंद करवाया जाए.
खूंटी चाइल्ड वेलफेयर कमिटी की सदस्य रह चुकी बसंती मुंडा बताती हैं कि झारखंड के आदिवासी बहुल जिलों को ट्रैफिकिंग के लिए टारगेट किया जाता है. सबसे ज्यादा ट्रैफिकिंग 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों की हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये बच्चियां अपरिपक्व होती हैं. इन बच्चियों को प्रलोभन के जाल में फांसना आसान होता है. इन्हें शहर में अच्छी जिंदगी का लोभ देकर बड़े शहरों में ले जाकर बेच दिया जाता है.
सरोगेसी का सीधा अर्थ यह है कि किसी दूसरी महिला के गर्भ में अपना बच्चा पालना अर्थात पैदा करना. अगर कोई पति पत्नी खुद बच्चा पैदा नहीं करना चाहते हैं और माता-पिता बनना चाहते हैं, ऐसे लोग किसी महिला को पैसा देकर तैयार कराते हैं. अपना वीर्य उस महिला के गर्भ में वैज्ञानिक तरीके से डाल देते हैं. इस तरह जो बच्चा पैदा होता है, उसके वह पिता बन जाते हैं. बच्चा पैदा करने वाली महिला उस बच्चे को अपने पास नहीं रखती है.
(Source : News 18)
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