Brahmos Missile Deal: रक्षा क्षेत्र में भारत की बड़ी उपलब्धि, ब्रह्मोस मिसाइल के लिए पहली विदेशी डील पर साइन
नई दिल्ली: फिलीपींस और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के बीच ब्रह्मोस का एंटी शिप वेरियंट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (Brahmos Missile) के लिए सौदे पर साइन हो गए हैं। यह मिसाइल का पहला एक्स्पोर्ट ऑर्डर है जो भारत और रूस का जॉइंट प्रोडक्ट है। यह डील शुक्रवार को मनीला में साइन हुई।
भारत की बड़ी उपलब्धि
यह रक्षा क्षेत्र में भारत की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। ब्रह्मोस मिसाइल लेने के लिए फिलीपींस ने 375 मिलियन डॉलर यानी करीब 28 अरब रुपये की डील की है। कॉन्ट्रैक्ट में तीन बैटरी की डिलीवरी के साथ ही ऑपरेटर्स और मेंटेनर्स की ट्रेनिंग भी शामिल है। साथ ही इसमें इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक सपोर्ट पैकेज भी शामिल है। ब्रह्मोस मिसाइल लेने के लिए कुछ और देशों ने इंटरेस्ट दिखाया है। इंडोनेशिया और थाइलैंड से बातचीत चल रही है और अडवांस स्टेज में है।
चीन के खतरे से निपटने को फिलीपींस की तैयारी
फिलीपींस और चीन के बीच साउथ चाइना सी (दक्षिणी चीन सागर) में लंबे समय से टकराव चल रहा है। इसको ध्यान में रखकर फिलीपींस अपनी नेवी को मजबूत कर रहा है। फिलीपींस ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती सबसे पहले अपनी नेवी के कोस्टल डिफेंस रेजिमेंट में करेगा। जानकारों का कहना है कि चीन के पास ब्रह्मोस जैसी क्षमता वाली मिसाइल नहीं है।
भारत और रूस का जॉइंट वेंचर है ब्रह्मोस
ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस का जॉइंट वेंचर है और यह सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल बनाता है। मिसाइल का नाम ब्रह्मपुत्र और मॉस्वा नदी को मिलाकर ब्रह्मोस रखा गया है। मिसाइल को जमीन से, समुद्र से, किनारे से और हवा से सतह पर किसी चीज को निशाना बनाने के लिए लॉन्च कर सकते हैं साथ ही समुद्र में भी यह टारगेट पर सटीक निशाना लगा सकती है। इंडियन आर्म्ड फोर्सेस में ब्रह्मोस मिसाइल काफी पहले ही शामिल कर ली गई थी।
आवाज की गति से 3 गुना ज्यादा
ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की स्पीड ध्वनि की स्पीड से तीन गुना ज्यादा है। फिलीपींस जो ब्रह्मोस मिसाइल ले रहा है इसकी रेंज 290 किलोमीटर तक है यानी यह 290 किलोमीटर तक मार कर सकता है। यह मिसाइल 300 किलोग्राम वजन की युद्ध सामग्री ले जा सकती है। ब्रह्मोस मिसाइल को दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइलों में गिना जाता है।
अभी भारत दुनिया में हथियारों का सबसे बड़े आयातकों में से एक है। लेकिन भारत ने रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है साथ भारत की कोशिश है कि भारत सिर्फ अपनी रक्षा जरूरतें ही पूरी ना करे बल्कि रक्षा उपकरणों के मामले में निर्यातक देश बने। भारत ने कई रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक भी लगाई है ताकि स्वदेशी रक्षा इंडस्ट्री को बढ़ावा मिल सके।
(स्रोत : नवभारत टाइम्स)
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