चीन ने बनाई दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वायु सेना, इन लड़ाकू विमानों पर घमंड करते हैं शी जिनपिंग
बीजिंग
एशिया पर कब्जे की रणनीति में जुटे चीन ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वायु सेना को तैयार कर लिया है। उसकी हवाई ताकत में पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के अलावा स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स और स्टील्थ ड्रोन भी शामिल हैं। इतना ही नहीं, दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए ड्रैगन ने तो अपने लड़ाकू विमानों को एयरक्राफ्ट कैरियर किलर मिसाइलों से भी लैस कर दिया है। नवंबर में जारी चीन की सेना पर अमेरिकी रक्षा विभाग की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के पास अब इस क्षेत्र में सबसे बड़ी और दुनिया में तीसरे नंबर की हवाई ताकत है।
चीनी वायु सेना और नौसेना के पास 2,800 विमान
पेंटागन का अनुमान है कि चीन के पास वायु सेना और नौसेना को मिलाकर लगभग 2,800 विमान हैं, जिनमें ड्रोन और ट्रेनर विमान शामिल नहीं हैं। उनमें से लगभग 2,250 डेडिकेटेड कॉम्बेट एयरक्राफ्ट हैं, जिनमें 1,800 लड़ाकू विमान शामिल हैं। इनमें से लगभग 800 चौथी पीढ़ी के जेट माने जाते हैं। चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में स्टील्थ कैपिसिटी नहीं होती है। इसमें यह भी बताया गया है कि चीनी वायु सेना ने हाल के वर्षों में क्षेत्रीय एयर डिफेंस को छोड़कर आक्रामक और रक्षात्मक भूमिका के लिए खुद को तैयार किया है। वह लंबी दूरी तक मार करने वाली हवाई ताकत को बनाने के लिए काम कर रहा है।
रूसी जेट को कॉपी कर तैयार किए स्वदेशी लड़ाकू विमान
शीत युद्ध के दौरान चीन पूरी तरह से सोवियत विमानों की चीनी कॉपियों पर निर्भर रहता था। 1980 के दशक में चीन का पहला स्वदेशी लड़ाकू विमान जे-8 भी वैसा ही एक कॉपी किया गया विमान था। चीन ने इसके एक अपग्रेडेड वर्जन को भी बनाया, जिसका नाम J-8II रखा गया। इस विमान को तैयार करने में चीन को इतना वक्त लग गया कि जब इसे वायु सेना में शामिल किया गया तो यह वर्तमान की जरूरतों को पूरा करने में फेल साबित हुआ। 1990 के दशक की शुरुआत में, चीन ने अपनी इन्वेंट्री बढ़ाने और तकनीकी अनुभव हासिल करने के लिए रूस से चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान खरीदना शुरू किया।
चीन का J-11 रूस के Su-27 की लाइसेंस कॉपी
चीन ने 1992 से 2015 के बीच रूस से कई Su-27, Su-30MKK, और Su-35 लड़ाकू विमान खरीदे। चीन को जैसे ही ये जेट मिले उसने वैसे ही इनकी खुद के वर्जन तैयार करने शुरू कर दिए। इस तरह का पहला जेट J-11 रूस से खरीदे गए Su-27 की लाइसेंस कॉपी थी। एक भारी हवाई योद्धा होने के कारण इस विमान में रूस के एसयू-27 की कई विशेषताएं शामिल थीं। इसमें 30 मिमी की गन, मिसाइलों के लिए 10 हार्डपॉइंट, मैक 2 की टॉप स्पीड और लगभग 60,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता भी थी। 2004 में, चीन ने J-11 को बनाना बंद किया और रूस के साथ अपने साझा उत्पादन समझौते की शर्तों के विरुद्ध एक रिवर्स-इंजीनियर संस्करण,J-11B का उत्पादन शुरू किया। कई वेरिएंट में से 297 J-11 लड़ाकू विमान वर्तमान में चीनी वायु सेना और चीनी नौसेना में तैनात हैं।
J-16 लड़ाकू विमान रूस के Su-30MKK पर आधारित
2015 में, चीनी वायु सेना ने J-16 को पेश किया। यह वमान आंशिक रूप से रूस के Su-30MKK पर भी आधारित है। चीन ने इसे J-11 का अपग्रेडेड वर्जन बताया। J-11 एयर सुपीरियॉरिटी वाला लड़ाकू विमान है, जबकि J-16 मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है। इसमें 30 मिमी की गन के अलावा मिसाइलों और बमों के लिए 12 हार्डपॉइंट हैं, साथ ही एक एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्केन्ड एरे रडार भी लगाया गया है। चीन ने समय-समय पर J-16 के कई अपग्रेडेड वर्जन को बनाया है। चीनी वायु सेना और चीनी नौसेना में इसके 150 से अधिक यूनिट आज भी ऑपरेशनल हैं। इसी साल नवंबर में चीन ने इसी लड़ाकू विमान को अपग्रेड कर एक इलेक्ट्रानिक वॉरफेयर वर्जन J-16D को तैयार किया है।
जे-10 को इजरायली विमानों की डिजाइन पर बनाया
चीन के पास जो लड़ाकू विमान सबसे ज्यादा संख्या में मौजूद है वह जे-10 है। यह विमान इजरायल आईएआई लवी पर आधारित हो सकता है। माना जाता है कि लगभग 488 J-10 वेरिएंट चीनी वायु सेना और चीनी नौसेना की एविएशन विंग में शामिल हैं। 2005 में पेश किया गया J-10 डेल्टा विंग और कैनार्ड डिजाइन वाला सिंगल-इंजन मल्टीरोल फाइटर है। J-10 में 11 हार्डपॉइंट, एक एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्केन्ड एरे रडार और एक 23 एमएम की गन लगाई गई है। ऐसा माना जाता है कि यह मैक 2 की स्पीड से लगभग 60,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
चीनी नौसेना का J-15 भी यूक्रेनी Su-33 की कॉपी
चीन के पास एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरने वाला J-15 लड़ाकू विमान भी है। चीन ने यूक्रेन से खरीदे गए Su-33 के अधूरे प्रोटोटाइप से J-15 को डिजाइन किया, क्योंकि रूस अपने Su-33 को चीन को बेचने के लिए तैयार नहीं था। चीनी नौसेना में कम से कम 34 J-15 लड़ाकू विमान मौजूद हैं। ये चीन के दो एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर से ऑपरेट होने वाले एकमात्र फिक्स्ड-विंग विमान हैं। इस विमान को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है, क्योंकि ये दुनिया में एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरने वाले सबसे भारी लड़ाकू विमान भी हैं। चीन के दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर स्की जंप वाले हैं। ऐसे में इतने भारी एयरक्राफ्ट को इससे उड़ान भरने के लिए अपनी इंजन की पूरी ताकत लगानी पड़ती है। इस कारण यह लड़ाकू विमान न तो भरे ईंधन टैंक और ना ही पूरे हथियारों के साथ टेक-ऑफ कर सकता है।
चीन का J-16D लड़ाकू विमान कितना खतरनाक
जे-16डी लड़ाकू विमान को जे-16 को अपग्रेड कर तैयार किया गया है। यह एक ट्विन सीटर, ट्विन इंजन वाला हैवी फाइटर जेट है। चीन ने दावा किया है कि उसने इस लड़ाकू विमान को स्वदेशी तकनीक के आधार पर विकसित किया है। इस मल्टीरोल फाइटर जेट का इस्तेमाल हमलावर और रक्षात्मक दोनों तरह की भूमिकाओं में किया जा सकता है। यह लड़ाकू विमान चीनी वायु सेना में अभी तक कमीशन किए गए दूसरे विमानों की तुलना में अधिक अडवांस है। इसमें चीन के दूसरे लड़ाकू विमानों की तुलना में फायर कंट्रोल सिस्टम, रडार और ऑपरेशन सिस्टम्स को उन्नत किया गया है। J-16D और मूल J-16 के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि नया वाला जे-16डी कई तरह के आधुनिक उपकरणों की एक विस्तृत सीरीज को लेकर उड़ान भर सकता है। इस लड़ाकू विमान के पंखों के नीचे छोटे उपकरण, जबकि बीच वाले हिस्से में भारी उपकरणों को लगाया जा सकता है। इस विमान में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस, कम्यूनिकेशन डिस्ट्रप्शन और रडार जाम करने वाले उपकरण लगे हुए हैं। इसके अलावा इसमें हवा से हवा में मार करने वाली कई आधुनिक मिसाइलें भी लगी हैं।
(स्रोत : नवभारत टाइम्स)
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