Monday, 18 October 2021

कंगाल पाकिस्‍तान को अब IMF ने दिया बड़ा झटका, नहीं दिया एक अरब डॉलर लोन

कंगाल पाकिस्‍तान को अब IMF ने दिया बड़ा झटका, नहीं दिया एक अरब डॉलर लोन



लोन लेकर लोन चुका रहे कंगाल पाकिस्‍तान को अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष ने बड़ा झटका दिया है। आईएमएफ ने पाकिस्‍तान को एक अरब डॉलर का लोन देने से इनकार कर दिया है। आईएमएफ को मनाने के लिए इमरान सरकार ने बिजली और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि की लेकिन इससे भी वैश्विक संस्‍था को संतुष्‍ट नहीं किया जा सका। आईएमएफ से कर्ज नहीं मिलने से अब पीएम इमरान खान को चीन या खाड़ी देशों के आगे एक बार फिर से झोली फैलाना पड़ सकता है।

दरअसल, आईएमएफ ने पाकिस्‍तान सरकार के गिड़गिड़ाने पर उसे तबाही के कगार पहुंची अर्थव्‍यवस्‍था को बचाने के लिए 6 अरब डॉलर का एक्‍सटेंडेड फंड फैसिलिटी दिया था। इसके तहत एक अगली किश्‍त के रूप में एक अरब डॉलर दिया जाना था। पाकिस्‍तानी मीडिया के मुताबिक पाकिस्‍तान सरकार और आईएमएफ के बीच इस पैसे को लेकर बात नहीं बन पाई है। आईएमएफ को कर्ज के लिए मनाने की खातिर पाकिस्‍तान के वित्‍त सचिव लंबे समय से वॉशिंगटन में डेरा डाले हुए हैं।
आम जनता महंगाई से त्राहिमाम-त्राहिमाम करने लगी

यही नहीं पाकिस्‍तान के व्‍यवहार को देखते हुए पूरे डील के ही रद होने का खतरा पैदा हो गया है। आईएमएफ को खुश करने के लिए ही इमरान खान सरकार ने पिछले दिनों बिजली के दाम में 1.39 रुपये प्रति यूनिट, पेट्रोल के दाम में 10.49 और डीजल के दाम में 12.44 रुपये की वृद्धि कर दी थी। इमरान के इस कदम से आईएमएफ तो खुश नहीं हुआ लेकिन आम जनता महंगाई से त्राहिमाम-त्राहिमाम करने लगी है। कहा जा रहा है कि पाकिस्‍तान को अभी बिजली की दर को डेढ़ से लेकर ढाई रुपये तक और बढ़ाना होगा।


हर पाकिस्तानी के ऊपर 1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज

विदेशी कर्ज नहीं लेने का वादा करके आई इमरान खान सरकार लगातार लोन चुकाने के लिए लोन लेती जा रही है। हाल में ही पाकिस्तान की संसद में इमरान खान सरकार ने कबूल किया था कि अब हर पाकिस्तानी के ऊपर अब 1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज है। इसमें इमरान खान की सरकार का योगदान 54901 रुपये है, जो कर्ज की कुल राशि का 46 फीसदी हिस्सा है। कर्ज का यह बोझ पाकिस्तानियों के ऊपर पिछले दो साल में बढ़ा है। यानी जब इमरान ने पाकिस्तान की सत्ता संभाली थी तब देश के हर नागरिक के ऊपर 120099 रुपये का कर्ज था।

(स्रोत : नवभारत टाइम्स)


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