अमेरिका ने इन हथियारबंद ड्रोन से ईरानी जनरल सुलेमानी को मारा था, भारत को ड्रोन्स मिलने से पहले चिंतित हुए चीन-पाक
2- 1700 किलोग्राम का भार ले जाने में सक्षम
यह ड्रोन्स लगातार दो दिनों तक उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं। यह अपने साथ 1700 किलोग्राम का भार ले जाने में सक्षम हैं। इस हथियारबंद ड्रोन्स के जरिए भारत चीन और पाकिस्तान के साथ चल रहे सीमाई तनाव को कम कर सकेगा। ड्रोन्स के जरिए भारतीय सेना दुश्मनों को यह बता सकेगी कि हमारे पास ऐसे हथियार हैं जो बिना पता चले उनके मंसूबों को नष्ट कर देंगे।
2- ड्रोन्स की लागत करीब 21,832 करोड़ रुपए
भारत अमेरिका से MQ-9 रीपर/प्रीडेटर बी ड्रोन्स खरीद रहा है। इस ड्रोन्स की लागत करीब 21,832 करोड़ रुपए है। भारत में ड्रोन्स हमले के बाद अमेरिका से इस ड्रोन्स के खरीदने की इच्छा जताई थी। उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष के अंत में यह भारतीय सैन्य बेड़े में शामिल हो जाएंगे। जाहिर तौर पर इस समझौते के बाद भारत की सैन्य शक्ति में बड़ा इजाफा होगा। फिलहाल इन ड्रोन्स का इस्तेमाल भारत की सरहदों की निगरानी और जासूसी के लिए किया जाएगा।
3- चीन के साथ सीमा विवाद के बाद लीज पर आए थे दो ड्रोन
पिछले वर्ष चीन के साथ भारत सीमा विवाद के वक्त देश के रक्षा मंत्रालय ने दो बिना हथियार वाले MQ-9 Predator ड्रोन्स सीमा की निगरानी के मकसद से लीज पर मगंवाए थे। हालांकि, उस वक्त ड्रोन्स की खरीदारी को लेकर दोनों देशों के रक्षा मंत्रालय ने कोई बात करने से मना कर दिया था। यह माना जा रहा है कि अमेरिका से आने वाले ड्रोन्स को भारतीय नौसेना के साथ तैनात किया जाएगा। ताकि भारत के दक्षिणी हिस्से की भी निगरानी हो सके। इसके अलावा चीन और पाकिस्तान की सीमाओं के आसपास भी तैनाती की जाएगी।
C-295 MW परिवहन विमान की चर्चा
मोदी की अमेरिका की यात्रा के समय अमेरिका का C-295 MW परिवहन विमान भी चर्चा में है। C-295 मेगावाट कंटेम्पररी टेक्नोलॉजी के साथ 5-10 टन क्षमता का एक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है, जो भारतीय वायुसेना के पुराने एवरो विमान की जगह लेगा। इससे भारतीय वायु सेना की ताकत में इजाफा होगा। रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि 16 विमान एयरबस डिफेंस एंड स्पेस से खरीदे जाएंगे जो उड़ान भरने की स्थिति में होंगे। इसके अलावा 40 विमान कंपनी की तरफ से भारत में टाटा के साथ एक समूह (कंसोर्टियम) के हिस्से के तहत बनाए जाएंगे।
(स्रोत : दैनिक जागरण )
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