Tuesday, 10 August 2021

सुनील गावस्कर ने क्यों कहा- खिलाड़ियों को पुरस्कार राशि मिली या नहीं, इसकी भी जांच हो

सुनील गावस्कर ने क्यों कहा- खिलाड़ियों को पुरस्कार राशि मिली या नहीं, इसकी भी जांच हो

देश हमारे ओलिंपिक खिलाड़ियों विशेषकर महिलाओं द्वारा जीते गए पदकों से खुश है और कई पुरस्कारों की घोषणा भी हुई है जो निश्चित रूप से शानदार है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वादे पूरे होते हैं या नहीं। बैंडबाजे पर कूदना और प्रचार या ब्रांड प्रायोजक प्राप्त करना एक पुरानी चाल है और यह मीडिया के लिए है कि वह आगे बढ़े और यह सुनिश्चित करे कि जो भो वादे किए जा रहे हैं वह पूरे हो रहे हैं कि नहीं।

हमारे पास 1983 क्रिकेट विश्व कप जीत का अनुभव है कि उस समय कितने पुरस्कार, राशि और न जाने किन-किन चीजों को देने की बात कही गई थी, लेकिन उसके बाद क्या हुआ, करीब 95 प्रतिशत से अधिक खिलाड़ियों को वादे के अनुसार कुछ भी नहीं मिला। कुछ कंपनियों ने अपना वादा पूरा किया एक दशक या उसके बाद उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिए, जबकि कुछ ब्रांड बाजार से गायब हो गए, लेकिन कम से कम उन्होंने उन शुरुआती वर्षों के लिए अपने वादे को तो पूरा किया।

बाकी कुछ लोगों ने सिर्फ खुद के प्रचार के लिए पुरस्कार का एलान किया और उसके बाद उनसे कोई पूछने नहीं गया कि आपने अपने वादे का क्या किया। यहां तक कि राज्य सरकार के स्तर पर भी कई विजेताओं को पुरस्कार की घोषणा के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है और कार्यालयों में कई चक्कर लगाने पड़ते है।

हमारे एथलीटों के प्रदर्शन ने देश को सुपरचार्ज कर दिया है और कई युवा अब क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों की ओर भी रुख करेंगे, जो की एक अद्भुत बात है। लेकिन अगर इस उत्साह को बनाए रखना है और आगे ले जाना है तो यह महत्वपूर्ण है कि मीडिया यह सुनिश्चित करे कि पुरस्कार विजेताओं को उनके पुरस्कार या राशि मिलें हैं या नहीं। अन्यथा लोग सोचेंगे दूसरे खेल में खेलने का क्या मतलब है जब वह आपका और आपके परिवार का पेट नहीं भर सकता है। मेरा यही मानना ही कि इस बार मीडिया को खिलाडि़यों से किए जाने वाले वादे की तह तक जाना चाहिए।

(स्रोत : दैनिक जागरण)



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