High court order: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा - 'केस होते ही गिरफ्तारी गलत'
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि आपराधिक केस दर्ज होते ही अकारण गिरफ्तारी मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है। मुकदमा दर्ज होने पर किसी की गिरफ्तारी अंतिम विकल्प व अपवाद स्वरूप होनी चाहिए। यही नहीं कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जोगिन्दर कुमार केस में उल्लेखित नैशनल पुलिस कमिशन की तीसरी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी ही विभाग में भ्रष्टाचार का मुख्य स्रोत है।
जस्टिस सिद्धार्थ ने यह आदेश अलीगढ़ में तैनात हेड कॉन्सटेबल जुगेन्दर सिंह की भ्रष्टाचार के एक मामले में अग्रिम जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है। याची पर आरोप है कि वह एक अन्य सिपाही के साथ मिलकर ट्रकों को पास करवाने के लिए पैसों की वसूली करता है। घटना का विडियो भी वायरल हुआ था। संज्ञान में आने पर विभाग ने मुकदमा दर्ज कराया है।
'हेड कॉन्स्टेबल के वकील ने दिया यह तर्क'
हेड कॉन्सटेबल के वकील का तर्क था कि याची को गलत फंसाया गया है। याची से न तो पैसों की रिकवरी हुई है और न ही वायरल विडियो की फॉरेन्सिक जांच कराकर इसकी सत्यता की पुष्टि ही की गई। कहा गया था कि पुलिस इस गलत प्राथमिकी के आधार पर याची को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है।
'काल्पनिक डर से अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती'
हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग की गई थी। इस अग्रिम जमानत अर्जी का अपर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि मामला गंभीर है। याची की गिरफ्तारी की आशंका निराधार है। काल्पनिक डर के आधार पर अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती ।
'शर्तों का उल्लंघन होने पर जमानत हो सकती है निरस्त'
हाई कोर्ट ने याची पर लगे आरोप, अपराध की प्रकृति तथा कोरोना संक्रमण के देखते हुए याची की अग्रिम जमानत की अर्जी को सशर्त मंजूर कर लिया। कोर्ट ने इस अग्रिम जमानत में याची को जांच में सहयोग करने समेत कई शर्तें लगाई है। शर्तों का उल्लंघन होने पर जमानत निरस्त हो सकती है।
(स्रोत : नवभारत टाइम्स)
No comments:
Post a Comment