Thursday, 13 May 2021

कॉलर ट्यून पर चिढ़ा HC:केंद्र से पूछा- कॉल करने पर वैक्सीन लगवाने का मैसेज सुनाई देता है, जब वैक्सीन ही नहीं तो कैसे लगेगी?

कॉलर ट्यून पर चिढ़ा HC:केंद्र से पूछा- कॉल करने पर वैक्सीन लगवाने का मैसेज सुनाई देता है, जब वैक्सीन ही नहीं तो कैसे लगेगी?


       केंद्र के मोबाइल कॉलर ट्यून पर दिल्ली हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। जस्टिस विपिन सिंघई और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने कहा कि जब भी कोई फोन लगाता है तो उसे चिढ़ पैदा करने वाली ट्यून सुनाई पड़ती है कि वैक्सीन लगवाइए, कौन लगाएगा वैक्सीन, जब ये है ही नहीं।

     अदालत ने कहा कि इस तरह के मैसेज का क्या मतलब है। अदालत ने कहा कि आपको सभी को वैक्सीन देनी चाहिए। अगर आप इसके लिए पैसे लेने जा रहे हैं तो भी इसे दीजिए। बच्चे भी कह रहे हैं, ये क्या है। ऐसे मामले में सरकार को थोड़ा इनोवेटिव होना चाहिए।

      सरकार को और भी मैसेज बनाने चाहिए। ये नहीं कि एक ही मैसेज बनाया और हमेशा उसी को चलाते रहें। जैसे एक टेप जब तक खराब नहीं हो जाता, तब तक बजता रहता है। आप भी इस मैसेज को 10 साल तक चलाएंगे।

जागरूकता फैलाने के लिए केंद्र को दी सलाह

  •     अदालत ने केंद्र से कहा कि जमीनी हालात देखते हुए बर्ताव करना चाहिए। इसलिए आपको और ज्यादा मैसेज बनाने चाहिए। जब कोई हर बार अलग-अलग मैसेज सुनेगा तो उसे इससे काफी मदद मिलेगी।
  •     टीवी एंकर्स और प्रोड्यूसर की मदद से प्रोग्राम बनाइए। छोटी अवधि के ये प्रोग्राम ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर, सिलेंडर या वैक्सीनेशन पर जागरूकता फैलाने वाले हो सकते हैं। इन्हें सभी चैनल्स पर दिखाया जाए। अमिताभ जैसे कलाकारों को इसमें शामिल कीजिए और ये सब जल्दी किया जाना चाहिए।
  •     पिछले साल बहुत सारा प्रचार और प्रोपेगैंडा फैलाया गया था। लगातार हाथ धुलिए, मास्क लगाइए। इस बार इसी तरह के ऑडियो-विजुअल इनोवेशन ऑक्सीजन, कंसन्ट्रेटर्स और दवाइयों को लेकर किया जा सकता है।
  •      देर क्यों कर रहे हैं। इसे जल्दी करना चाहिए। 18 मई तक बताइए कि टीवी, प्रिंट और कॉलर ट्यून के जरिए कोविड मैनेजमेंट पर जानकारी प्रचार करने के लिए क्या कदम उठाए हैं।

  • (स्रोत: दैनिक भास्कर)

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