Saturday, 22 May 2021

भारतीय महिला फुटबॉल का डार्क साइड : झारखंड में मजदूरी कर रहीं इंटरनेशनल फुटबॉलर संगीता; CM सोरेन से 4 महीने पहली मांगी थी मदद, पर अब भी नमक-चावल खाने को ही मजबूर

भारतीय महिला फुटबॉल का डार्क साइड : झारखंड में मजदूरी कर रहीं इंटरनेशनल फुटबॉलर संगीता; CM सोरेन से 4 महीने पहली मांगी थी मदद, पर अब भी नमक-चावल खाने को ही मजबूर


       भारतीय फुटबॉल जगत का एक शर्मनाक पहलू सामने आया है। झारखंड में रह रहीं इंटरनेशनल फुटबॉलर संगीता सोरेन और उनका परिवार मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर है। संगीता के पिता दूबे सोरेन नेत्रहीन होने की वजह से कोई काम करने में असमर्थ हैं। जबकि उनका भाई दिहाड़ी मजदूर है। भाई की आमदनी किसी दिन होती है और किसी दिन नहीं। ऐसे में परिवार का पेट पालने के लिए संगीता को ईंट भट्टे में काम करना पड़ रहा है।

     अब महिला आयोग ने इस पर एक्शन लेते हुए झारखंड सरकार और ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को चिट्ठी लिखी है। आयोग ने उनसे संगीता को अच्छी नौकरी देने के लिए कहा है, ताकि वे अपना बाकी जीवन सम्मान के साथ गुजार सकें। संगीता 2018-19 में अंडर-17 लेवल पर भूटान और थाईलैंड में खेले गए इंटरनेशनल फुटबॉल चैंपियनशिप में टीम इंडिया का हिस्सा रह चुकी हैं। टीम ने इसमें ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था।

टैलेंटेड फुटबॉलर संगीता को मजदूरी करना पड़ रही।
टैलेंटेड फुटबॉलर संगीता को मजदूरी करना पड़ रही।
संगीता को मजबूरी में ईंट भट्टे में काम करना पड़ रहा है।
संगीता को मजबूरी में ईंट भट्टे में काम करना पड़ रहा है।

CM हेमंत सोरेन ने सिर्फ मदद का आश्वासन दिया
       संगीता ने 4 महीने पहले भी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सोशल मीडिया पर मदद मांगी थी। इस पर संज्ञान लेते हुए CM ने मदद का आश्वासन दिया था। पर 4 महीने बाद अब तक संगीता को किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली।

झारखंड सरकार ने भी संगीता की मदद नहीं की
       मदद नहीं मिलने पर संगीता राज्य सरकार पर भी बिफर पड़ीं। उन्होंने कहा- सरकार से हम क्या मांग करें। उन्हें खुद ही मेरे बारे में सोचना चाहिए। जिन आदिवासियों के कल्याण के लिए झारखंड का गठन हुआ है, राज्य सरकार उस उद्देश्य से ही भटक चुकी है। मैंने पहले भी कई बार सरकार से मदद मांगी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

महिला आयोग ने प्रेस नोट जारी किया

       महिला कमीशन ने अपने प्रेस नोट में लिखा- संगीता पिछले 3 साल से जॉब पाने की कोशिश कर रही हैं, पर किसी ने उनकी मदद नहीं की। इंटरनेशनल लेवल पर खेलने के लिए भी उन्हें सिर्फ 10 हजार रुपए दिए गए। संगीता की स्थिति देश के लिए शर्म की बात है। उन्हें तरजीह दी जानी चाहिए। उन्होंने सिर्फ अपने देश को नहीं बल्कि, झारखंड को भी वर्ल्ड फुटबॉल में रिप्रजेंट किया है। यह सब उनकी लगन और मेहनत की वजह से हो सका।

''झारखंड सरकार संगीता की मदद करे''
     महिला आयोग ने लिखा- चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने झारखंड के मुख्य सचिव से कहा है कि संगीता को हरसंभव मदद दी जाए, ताकि वह अपनी बाकी जिंदगी सम्मान के साथ जी सके और परिवार की मदद कर सके। इसकी कॉपी AIFF को भी भेजी गई है।

10 साल पहले पिता की आंखों की रोशनी गई
        धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड के रेंगुनी पंचायत में आने वाले बांसमुड़ी गांव में रहने वाली संगीता बताती हैं कि उनके पिता की आंखों की रोशनी 10 साल पहले चली गई थी। तब से ही वे कोई काम नहीं कर रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से भाई को भी कोई काम नहीं मिल पा रहा। ऐसे में संगीता खुद ईंट भट्टे में मजदूरी कर घर का भरण-पोषण कर रही हैं। कभी-कभी तो गरीबी की वजह से उन्हें चावल-नमक से भी गुजारा करना पड़ता है।

(स्रोत : दैनिक भास्कर)

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