भारतीय महिला फुटबॉल का डार्क साइड : झारखंड में मजदूरी कर रहीं इंटरनेशनल फुटबॉलर संगीता; CM सोरेन से 4 महीने पहली मांगी थी मदद, पर अब भी नमक-चावल खाने को ही मजबूर
भारतीय फुटबॉल जगत का एक शर्मनाक पहलू सामने आया है। झारखंड में रह रहीं इंटरनेशनल फुटबॉलर संगीता सोरेन और उनका परिवार मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर है। संगीता के पिता दूबे सोरेन नेत्रहीन होने की वजह से कोई काम करने में असमर्थ हैं। जबकि उनका भाई दिहाड़ी मजदूर है। भाई की आमदनी किसी दिन होती है और किसी दिन नहीं। ऐसे में परिवार का पेट पालने के लिए संगीता को ईंट भट्टे में काम करना पड़ रहा है।
अब महिला आयोग ने इस पर एक्शन लेते हुए झारखंड सरकार और ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को चिट्ठी लिखी है। आयोग ने उनसे संगीता को अच्छी नौकरी देने के लिए कहा है, ताकि वे अपना बाकी जीवन सम्मान के साथ गुजार सकें। संगीता 2018-19 में अंडर-17 लेवल पर भूटान और थाईलैंड में खेले गए इंटरनेशनल फुटबॉल चैंपियनशिप में टीम इंडिया का हिस्सा रह चुकी हैं। टीम ने इसमें ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था।
महिला आयोग ने प्रेस नोट जारी किया
महिला कमीशन ने अपने प्रेस नोट में लिखा- संगीता पिछले 3 साल से जॉब पाने की कोशिश कर रही हैं, पर किसी ने उनकी मदद नहीं की। इंटरनेशनल लेवल पर खेलने के लिए भी उन्हें सिर्फ 10 हजार रुपए दिए गए। संगीता की स्थिति देश के लिए शर्म की बात है। उन्हें तरजीह दी जानी चाहिए। उन्होंने सिर्फ अपने देश को नहीं बल्कि, झारखंड को भी वर्ल्ड फुटबॉल में रिप्रजेंट किया है। यह सब उनकी लगन और मेहनत की वजह से हो सका।
(स्रोत : दैनिक भास्कर)
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