कोरोना जो ना कराए... शिक्षा देनेवाले हाथ आज बेच रहे आम, शिष्य पर पड़ती नजर तो झूक जाती है आंखें
रुपौली (पूर्णिया)। यह कोरोना लोगों को कौन-कौन दिन दिखाएगा, यह कोई नहीं जानता। कब कोई अपना परिजन खो दे, कब अपना बसा-बसाया रोजगार खो दे, कब क्या हो जाए कहना मुश्किल है। ऐसा ही एक उदाहरण टीकापट्टी में देखने को मिला है, जहां एक युवक अपनी बेरोजगारी दूर करने के लिए कोचिंग चलाता था, बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ अपने परिवार का पेट भी भरता था।
परंतु लगातार दूसरी बार आयी इस कोरोना महामारी ने उसे सड़क पर लाकर छोड़ दिया है। अब वह अपने परिजनों का पेट भरने के लिए सड़क पर आम बेचते देखा जा सकता है। उसकी यह स्थिति देखकर लोगों की आंखें भर आती हैं। खासकर राह से गुजरते उसके शिष्य अपने गुरु की ऐसी हालत देख आंखों में आंसू लिए आगे बढ़ जाते हैं ।
अगर यही हालत रही तो निश्चित ही भीषण स्थिति आ सकती है। इस तरह के ना जाने कितने विद्वान नौजवानों का भविष्य इसी तरह दांव पर लग गया है। देखें सरकार ऐसे कोचिंग चालकों के लिए क्या कदम उठाती है ।
(स्रोत : दैनिक जागरण)
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