फिलीस्तीनियों की नफरत और इजराइलियों का बड़प्पन / उदारता :
फिलस्तीनियों ने जिस इजराइली को पत्थरों से मार डाला, उसकी किडनी से ही बची अरब महिला की जान
इजराइल और फिलीस्तीन के बीच 11 दिन चली जंग फिलहाल थम चुकी है। अब न हमास (इजराइल और पश्चिमी देश इसे आतंकी संगठन मानते हैं) रॉकेट दाग रहा और न इजराइली एयरफोर्स बम बरसा रही है। हां, तबाही के निशान अब भी मौजूद हैं। और इन्हें वक्त लगेगा, अपना वजूद खोने में। जंग के दौर में अच्छी कहानियां कहां मिलती हैं? क्योंकि, इसकी तो बुनियाद ही नफरत होती है।
बहरहाल, इजराइल- हमास की जंग की एक कहानी इन दिनों लोगों को इंसानियत का सबक सिखा रही है। ये कहानी है उस इजराइली की, जिसे फिलीस्तीनियों ने संगसार कर दिया। यानी पत्थरों से मार डाला। आज उसी इजराइली की किडनी ने एक अरब महिला को नई जिंदगी बख्श दी है।
खैर, दंगों की आग इजराइली शहर लॉड तक भी पहुंची। 56 साल के यीगल होशुआ को एक जगह अरब मूल के लोगों ने घेर लिया। उन पर बेइंतहां पत्थर बरसाए गए। सात दिन जिंदगी और मौत के बीच झूलते रहे। फिर मौत जीत गई और जिंदगी हार गई। यीगल ने रविवार को दम तोड़ दिया। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और आर्मी चीफ ने इस घटना को वहशियाना बताया।
लेकिन, उस नीली छतरी वाले ईश्वर का खेल भी निराला है। रान्दा को किडनी मिली और सोमवार को उनकी सर्जरी भी हो गई। लेकिन, तब तक उन्हें यह पता नहीं था कि जिस फरिश्ते की बदौलत उन्हें नई जिंदगी मिली है, वो कोई और नहीं बल्कि वो शख्स है जिससे अरब या फिलीस्तीन के लोग शायद प्यार नहीं कर सकते |
यीगल की मौत हुई। नियम के मुताबिक, उनका रिकॉर्ड चेक किया गया और जैसे ही उनके ऑर्गन डोनर होने की बात सामने आई तो प्रॉसेस तेज की गई। यीगल तो इस दुनिया से चले गए, लेकिन जाते-जाते रान्दा को फिर मुस्कराने की वजह दे गए।
(स्रोत : दैनिक भास्कर)
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