Tuesday, 11 May 2021

काशी में पं. राजन मिश्र के नाम कोविड अस्पताल:प्रशंसक बोले- जिंदा थे तब वेंटिलेटर नहीं मिला, अब नाम देकर क्या फायदा

काशी में पं. राजन मिश्र के नाम कोविड अस्पताल:प्रशंसक बोले- जिंदा थे तब वेंटिलेटर नहीं मिला, अब नाम देकर क्या फायदा


      बनारस घराने के पद्मभूषण पंडित राजन मिश्र के निधन के बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में खोले गए अस्थाई कोविड अस्पताल को उनका नाम दिया गया है। अब यह अस्पताल पं. राजन मिश्र के नाम से जाना जाएगा। इस कदम के बाद सोशल मीडिया पर पं. राजन मिश्र के प्रशंसकों ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। उनका कहना है कि जब पंडित जी मौत से लड़ रहे थे, तब सरकार उन्हें वेंटिलेटर तक नहीं दिला सकी। अब कोविड अस्पताल को उनका नाम देकर तमाशा बनाया जा रहा है।

       इधर, पं. राजन मिश्र के बेटे पंडित रजनीश मिश्र ने भी सरकार से गुहार लगाई है कि संकट के इस दौर में मंदिर, मूर्तियों और नई इमारतों की जरूरत नहीं है। उनकी जगह बेहतर अस्पताल बनवाए जाएं, ताकि लोगों की जान बच सके।

अंदाजा लगाइए... आम लोगों की हालत क्या होगी?
     पं. रजनीश मिश्र ने 'दैनिक भास्कर' से खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा, 'पिताजी तो नहीं रहे, हम दोष किसे दें? जो नुकसान होना था, वह तो हो गया और उसकी भरपाई भी संभव नही है। बनारस घराने और शास्त्रीय गायकी में वर्ल्ड फेम पंडित जी के इलाज में ऐसा हो सकता है, तो अंदाजा लगाइए आम आदमी की क्या स्थिति होगी?'

पीएम आवास की जगह अस्पताल बनाया जाए

      पं. रजनीश ने कहा, 'पिताजी अब अस्पताल तो देखने आ नहीं रहे हैं और न रामजी अयोध्या में अपना मंदिर देखने आ रहे हैं। मौजूदा समय में देश को अच्छी सुविधाओं वाले अस्पताल की जरूरत है। इसलिए मंदिर, मूर्तियां और दिल्ली में हजारों करोड़ रुपए से तैयार हो रहे प्रधानमंत्री के नए आवास की जगह सरकारें हेल्थ सिस्टम सुधारे। मैं सरकार से यही अनुरोध करूंगा कि वह आम आदमी और उसके स्वास्थ्य पर ध्यान दे। जब कोई अपना बिछुड़ता है, तो बहुत दर्द होता है। वह कष्ट हम सबको महसूस करना चाहिए।'

पं. राजन मिश्र के बेटे और भांजे के सरकार से 2 सवाल

        1. एक तरफ पिताजी के सम्मान में अस्थाई कोविड हॉस्पिटल का नाम दिया गया। दूसरी तरफ उनकी तस्वीर के साथ प्रधानमंत्री की भी तस्वीर लगाई जा रही है। यह कैसा सम्मान है और क्या संदेश दिया जा रहा है?

      2. जब पं. राजन मिश्र का अस्थि कलश वाराणसी आया, तब सरकार और शासन की तरफ से कोई क्यों नहीं आया?

(स्रोत: दैनिक भास्कर)

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