महामारी से युद्ध:जकरबर्ग बायोहब के को-फाउंडर डेरीजी बोले- ज्यादातर देश कोरोना डेटा साझा कर रहे; भारत पारदर्शिता दिखाए, फायदा होगा
2020 में कैलिफोर्निया में फ्री कोविड टेस्टिंग की शुरुआत करने वाले चैन-जकरबर्ग बायोहब के को-फाउंडर जो डेरीजी भारत में दूसरी लहर को दुनिया के लिए खतरा मानते हैं। कैलिफोर्निया विवि में बायोकेमेस्ट्री व बायोफिजिक्स के प्रोफेसर डेरीजी कहते हैं कि भारत में डेटा में पारदर्शिता के बिना सही आकलन संभव नहीं है।
दैनिक भास्कर के रितेश शुक्ल से हुई खास बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत अन्य देशों की तरह डेटा शेयर नहीं करता। अगर वह पारदर्शिता के साथ डेटा शेयर करे, तो रणनीतिक रूप से उसे भी फायदा होगा। बातचीत के मुख्य अंश-
भारत में कोविड के खिलाफ लड़ाई को कैसे देख रहे हैं?
- कोविड को लेकर मेरा मत अमेरिका तक सीमित है क्योंकि यहां का डेटा हमारे पास है। मैं कैलिफोर्निया में काम कर रहा हूं और यहां का डेटा पारदर्शी है। यही कारण है कि मैं भारत की परिस्थिति पर एक एक्सपर्ट की तरह बात नहीं कर सकता।
हां, इतना जरूर कहूंगा कि भारत ने मुझे चकित किया है। दुनिया में बिना वैक्सीन लगाए हुए सबसे बड़ी भीड़ भारत में जुटी। भारत ने कोरोना को बढ़ाने का काम किया है। भारत में वायरस को मिले इस मौके के कारण दुनिया को बूस्टर डोज पर काम करना ही होगा। भारत का फार्मा उद्योग अत्याधुनिक है। वैक्सीन सबको मुफ्त में लगना चाहिए। ये नेशनल इमरजेंसी है।
डेटा में पारदर्शिता कैसे आएगी? भारत जैसे देशों का डेटा रिपोर्ट्स में क्यों नहीं है?
पारदर्शिता के लिए पूरे देश में एक राष्ट्रीय इन्फॉर्मेशन सिस्टम जरूरी है। जिसका एक्सेस देश-विदेश में सबके लिए हो। आज दुनिया में कई प्री-प्रिंट सर्वर बन चुके हैं जहां दुनियाभर से कोविड का वैज्ञानिक डेटा आता है और जो सबके लिए उपलब्ध है। अगर भारत का डेटा ऐसे सर्वर पर आएगा तो उसे भी रणनीतिक रूप से फायदा होगा।
भविष्य के लिए उपाय क्या है?
आज की समस्या को देखिए। अमूमन अधिकारी डेटा छुपा रहे हैं जबकि इतिहास गवाह है कि स्वास्थ्य से ताल्लुक रखने वाला डेटा छुपाना खतरनाक साबित होता है। सबसे महत्वपूर्ण उपाय यह है कि स्वास्थ्य व्यवस्था राजनीति से अलग कर दी जाए। सरकार का काम स्वास्थ्य सेवाओं को चलाना नहीं, संसाधन मुहैया कराना होना चाहिए। बाकी निर्णय डॉक्टरों, वैज्ञानिकों को लेने देना चाहिए।
भविष्य का हेल्थ सिस्टम कैसा होना चाहिए?
दुनियाभर में लोकल हेल्थ सिस्टम को इंटरलिंक करना होगा, जो लगातार एक-दूसरे का डेटा पारदर्शिता के साथ साझा कर सकें। तभी ये पता चल पाएगा कि कौन-सी बीमारी कहां हो रही है जो दुनिया में फैल सकती है। हमारे पास सारी टेक्नोलॉजी है। अगर दुनिया इच्छाशक्ति दिखाए तो एक से दो साल के अंदर हम आधुनिक इंटिग्रेटेड इंटरडिपेंडेंट हेल्थ सिस्टम खड़ा कर सकते हैं।
पिछले एक साल में कोविड को लेकर कोई खुशखबरी है क्या?
वैक्सीन सबसे बड़ी खुशखबरी है। सैन फ्रांसिस्को में हम वैक्सीन लगाए हुए लोगों की जनवरी से लगातार टेस्टिंग कर रहे हैं। 99.99% मामलों में हमें मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन कारगर नजर आ रही है। मैं बाकी वैक्सीन के बारे में नहीं कह सकता क्योंकि उनके इस्तेमाल का मूल्यांकन मैंने नहीं किया है। मेरे शहर में जून के मध्य तक हम 80% जनसंख्या को वैक्सीन लगा चुके होंगे। महामारी रोकने के लिए मुफ्त में सबकी टेस्टिंग करना और मुफ्त में वैक्सीन लगाने के अलावा कोई और उपाय नहीं है।
आपको क्या लगता है स्कूल दोबारा कब खुल पाएंगे?
मेरे राज्य कैलिफोर्निया की बात करें तो 12 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी है। अगर हम आज से शुरू करें और 2 वर्ष से ऊपर के सभी बच्चों की टेस्टिंग पूरी कर उन्हें वैक्सीन लगा दें तो भी अगले साल सितंबर की शुरुआत स्कूल खुल पाएंगे। अगर ऐसा हो पाता है तो मैं बड़ी राहत महसूस करूंगा। इसके बिना बच्चों के संक्रमित होने का डर बना रहेगा
(स्रोत : दैनिक भास्कर)
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