इजराइल-हमास जंग : 40 घंटे में गाजा से हमास ने हजार से ज्यादा रॉकेट दागे , पर आयरन डोम ने इजराइल को इन हमलों से बचाया
इजराइल में जंग जैसे हालात के बीच जमकर हवाई हमले हो रहे हैं। इजराइल विरोधी संगठन हमास के कब्जे वाले गाजा से सोमवार से बुधवार के बीच 40 घंटों में 1000 से ज्यादा रॉकेट दागे गए। इजराइल ने आयरन डोम डिफेंस सिस्टम की वजह से अपनी ज्यादातर आबादी को इन हमलों से बचाए रखा है। जानिए, हमास और इजराइल किस तरह जंग लड़ रहे हैं...
ताजा विवाद रमजान के महीने से शुरू हुआ। यरुशलम में इजराइली पुलिस और फिलिस्तीनियों के बीच झड़प की खबरें आती रहीं। इसी बीच, इजराइल ने पूर्वी यरुशलम के शेख जर्राह से फिलिस्तीनी परिवारों को हटाने का काम शुरू किया। इसी के विरोध में यरुशलम की मस्जिद अल-अक्सा में रमजान के आखिरी जुमे पर हिंसक प्रदर्शन हुए। इसके बाद से हमास रॉकेट दागने लगा और जंग जैसे हालात बन गए।
फिलिस्तीन में सक्रिय दो चरमपंथी संगठन इजराइल के निशाने पर रहते हैं। पहला- राजनीतिक रूप से ताकतवर हमास। दूसरा- फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद यानी PIJ। इनमें हमास सबसे प्रमुख है, जिसका गाजा पट्टी पर कब्जा है। ताजा विवाद में यही इजराइल पर रॉकेट से हमले कर रहा है।
इजराइली वेबसाइट द यरूशलम पोस्ट के मुताबिक, इस बार हालात अलग हैं। इस बार हमास ने हमलों के शुरुआती 5 मिनटों में 137 रॉकेट दाग दिए। अब तक उसकी तरफ से 1000 से ज्यादा रॉकेट दागे जा चुके हैं। जाहिर है कि उसकी ताकत बढ़ चुकी है। ज्यादातर रॉकेट वह तेल अवीव कॉरिडोर पर दाग रहा है।
इजराइल की सबसे बड़ी उम्मीद आयरन डोम
अब आयरन डोम की बात करते हैं, जिसने अब तक इजराइल की बड़ी आबादी को हमास के रॉकेट हमलों से बचाकर रखा है। आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम है। इसे राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम और इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने मिलकर तैयार किया है। अमेरिका ने इसमें आर्थिक और तकनीकी मदद दी थी।
आयरन डोम 2011 से एक्टिव हुए थे। गाजा से आने वाले शॉर्ट रेंज रॉकेट्स को जमीन पर गिरने से पहले हवा में तबाह करना इनका मकसद था। आयरन डोम का एक और हिस्सा मीडियम और लॉन्ग रेंज मिसाइलों के लिए भी है। यानी यह फाइटर प्लेन से दागी जाने वाली मिसाइलों और ड्रोन्स को भी निशाना बनाने की काबिलियत रखता है।
आयरन डोम रडार सिस्टम पर काम करता है। रडार यह देखता है कि क्या इजराइल की तरफ आ रहे किसी रॉकेट से खतरा है? जब यह महसूस होता है कि कोई रॉकेट आबादी वाले इलाकों या अहम इमारतों की तरफ आ रहा है, तब बैटल मैनेजमेंट कंट्राेल से सिग्नल भेजे जाते हैं और मोबाइल यूनिट्स या लॉन्च साइट्स से इंटरसेप्टर दागे जाते हैं। इंटरसेप्टर असल में वर्टिकल मिसाइलें होती हैं। ये आसमान में दुश्मन के रॉकेट्स के पास जाकर फट जाती हैं। इससे रॉकेट्स आसमान में ही तबाह हो जाते हैं। सिर्फ उनका मलबा जमीन पर गिरता है।
यूएस मरीन्स में काम कर चुके और किंग्स कॉलेज लंदन के वॉर स्टडीज डिपार्टमेंट से पीएचडी कर रहे रॉब ली बताते हैं कि अगर किसी के पास BM-21 Grad सिस्टम है तो वह उससे 20 सेकंड में 40 रॉकेट दाग सकता है। इस तरह के रॉकेट सिस्टम वाली अगर पूरी एक बैटरी या बटालियन है तो वह 20 सेकंड में 240 से 720 रॉकेट दाग देगी। दुनिया का कोई मिसाइल डिफेंस सिस्टम इतने रॉकेट को नहीं रोक पाएगा।
आयरन डोम की यह खामी इससे भी पता चलती है कि हमास की तरफ से आए कई रॉकेट इजराइल की जमीन पर गिरने में कामयाब रहे। इससे कई इमारतों को नुकसान पहुंचा। इसमें अब तक 5 इजराइली लोगों की मौत हो चुकी है।
(स्रोत: दैनिक भास्कर)
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