अब बेरोजगारी का गहराता संकट, मई में पिछले लॉकडाउन के बाद सबसे ज्यादा बेरोजगारी, इनकम लॉस के चलते परिवारों की खरीदारी करने की इच्छा भी घटी
देश में इस महीने बेरोजगारी दर 14.5% पर पहुंच गई है, यानी काम करने को तैयार हर एक हजार लोगों में से 145 लोगों के पास कोई काम नहीं है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) का बेरोजगारी का आंकड़ा पिछले हफ्ते का है और एक साल में सबसे ज्यादा है।
पिछले साल अप्रैल और मई में हर 100 में 23 लोगों के पास काम नहीं था
CMIE के मुताबिक पिछले महीने यानी अप्रैल में बेरोजगारी दर 8% थी, यानी काम करने को तैयार हर 100 लोगों में आठ लोगों के पास काम नहीं था। पिछले साल अप्रैल और मई में लॉकडाउन के दौरान बेरोजगारी का आंकड़ा 23% (100 में 23 लोगों के पास काम नहीं था) को पार कर गया था।
अप्रैल में भी बेरोजगारी बढ़ी खरीदारी का रुझान घटा था
CMIE के हालिया साप्ताहिक विश्लेषण के मुताबिक पिछले महीने (अप्रैल में) बेरोजगारी बढ़ी थी, जबकि खरीदारी का रुझान घटा था। उसका कहना है कि यह स्थिति मई में बनी रह सकती है और बेरोजगारी का आंकड़ा डबल डिजिट में रह सकता है। 2020-21 में देश में औसत बेरोजगारी 8.8% रही थी।
कंज्यूमर सेंटीमेंट इंडेक्स में लगातार पांचवें हफ्ते गिरावट
CMIE के डेटा कंज्यूमर सेंटीमेंट इंडेक्स के लगातार पांचवें हफ्ते घटने की भी बात कहते हैं। पिछले हफ्ते 1.5% घटे इस इंडेक्स में मार्च के अंतिम हफ्ते से कुल 9.1% की गिरावट आ चुकी है। अप्रैल 2021 में कंज्यूमर सेंटीमेंट इंडेक्स 2019-20 के मुकाबले लगभग 49% नीचे था। अप्रैल 2020 में यह 2019-20 के औसत से लगभग 57% कम था।
आमदनी में आई गिरावट, कल को लेकर बढ़ी चिंता
CMIE के मुताबिक, लोगों के खरीदारी के रुझान में कमी आने की वजह की उनकी आमदनी में गिरावट और आने वाले कल को लेकर बढ़ी चिंता है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले आधे यानी 55.5% परिवारों की आमदनी बंद हो गई है।
41.5% परिवारों की इनकम पिछले एक साल से जस की तस है जबकि 3.1% परिवारों की आमदनी पिछले एक साल में बढ़ी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि 97% परिवारों की आमदनी (महंगाई के हिसाब से) असल में घटी है।
सितंबर से सप्लाई साइड की दिक्कत कम होने लगी थी
CMIE के मुताबिक, आवाजाही पर रोक हटने या कम होने के चलते पिछले साल सितंबर से सप्लाई साइड (सामान की उपलब्धता) की दिक्कत कम होने लगी थी। लेकिन लोगों की दिक्कतें बनी रही क्योंकि उनको पहले की तरह काम नहीं मिल रहा था और न ही परिवारों की पहले जैसी इनकम रही थी।
मांग में कमी बनी रहने से रिकवरी अटक सकती है
दिसंबर 2020 तक परिवारों की आमदनी 2019-20 के औसत से 6.7% कम रह गई थी और तब से स्थिति बिगड़ी ही है। CMIE का कहना है कि कम से कम ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की सप्लाई बेहतर हुई है लेकिन मांग में कमी बनी रहने से रिकवरी अटक सकती है।
(स्रोत : दैनिक भास्कर)
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