Monday, 24 May 2021

बिहार के भोजपुर में कोरोना का क्रूर रूप:कुल्हड़िया गांव में दो महीने में 125 की मौत, एक ही घर से उठी 4 अर्थियां, सरकारी रिकॉर्ड में जिक्र भी नहीं

बिहार के भोजपुर में कोरोना का क्रूर रूप:कुल्हड़िया गांव में दो महीने में 125 की मौत, एक ही घर से उठी 4 अर्थियां, सरकारी रिकॉर्ड में जिक्र भी नहीं


      बिहार के भोजपुर जिले में इन दिनों कोरोना का भयावह रूप देखने को मिल रहा है। यहां कुल्हड़िया गांव में सिर्फ दो दिन में 18 लोगों की मौत हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि इसी गांव में पिछले दो महीने में 125 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि, इन मौतों का जिक्र सरकार के रिकार्ड में नहीं है।

        गांव में एक भी कोरोना जांच केंद्र नहीं है। इलाज के नाम पर सिर्फ दावे हैं। गांव वाले बताते हैं कि अगर किसी की तबीयत खराब होती है तो या तो उसे आरा या कोइलवर जाना पड़ता है।

विनोद के परिवार में 4 सदस्यों की मौत
       कुल्हड़ियां गांव के विनोद कुमार सिंह बताते हैं कि परिवार में अभी तक 4 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से मेरे चाचा को कोरोना हुआ था। उन्होंने जांच कराई तो पॉजिटिव आए। फिर उनके बड़े बेटे को भी कोरोना हो गया। चाचा जी की तो मौत हो गई, लेकिन उनका लड़का अभी ठीक है। घर के पहले सदस्य की मौत 28 अप्रैल को हुई। अभी पहले व्यक्ति के कर्मकांड में लगे ही थे कि 2 मई को 78 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई। इसके बाद मौत का सिलसिला जारी रहा और घर में 4 लोगों की मौत हो गई।

अस्पताल से न कोरोना किट मिली न दवा, रामनाथ ने 2 सदस्यों को खोया
        सिर्फ विनोद का ही परिवार नहीं है, जिन्होंने अपनों को खोया है। कुल्हड़िया गांव के रामनाथ सिंह के घर से भी 2 अर्थियां उठी हैं। उन्होंने बताया कि मेरे पिता जी को हल्का बुखार था। फिर मैंने पिता जी के साथ कोइलवर PHC में कोरोना जांच कराई। दोनों पॉजिटिव निकले। डॉक्टरों ने आरा जैन कॉलेज के नाम एक पर्ची पर लिखकर दे दिया। जब हम दोनों वहां जा रहे थे तो पहले सूचना मिली कि वहां की स्थिति बहुत खराब है। हम लोग होम आइसोलेशन में चले गए थे, लेकिन PHC की तरफ से न कोरोना किट दिया गया और न ही कोई दवा दी गई। केवल एक पर्चा दे दिया गया कि आप लोग जैन कॉलेज में जाकर एडमिट हो जाइए।

       रामनाथ ने बताया कि 16 अप्रैल को जांच करवाई थी और पिता जी की मौत 17 अप्रैल को हो गई। बड़े पापा की भी मौत उसी अंतराल में हो गई। उसके बाद हॉस्पिटल से कॉल आया कि हम दोनों को कोरोना नहीं था। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि हम दोनों का नाम भी रजिस्टर से गायब था।

जांच नहीं होने से कई मौतों का कारण पता नहीं
      राकेश कुमार शर्मा के साथ कई ऐसे ग्रामीणों ने बताया कि जांच नहीं होने से मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका। गांव में दो महीने पहले जांच हुई थी, लेकिन उसके बाद कोई टीम जांच के लिए गांव नहीं आई।

चिकित्सा प्रभारी को मौतों की जानकारी ही नही
       गांव में 125 से ज्यादा मौतों पर कोइलवर प्रखंड के चिकित्सा प्रभारी डॉ. नवीन कुमार ने कहा कि इसकी जानकारी मुझे नहीं है। मैंने शुरुआती दौर में कुल्हड़िया गांव से ही कोरोना जांच शुरू की थी, लेकिन लोगों का कहना है कि कुल्हड़िया गांव में इतने लोगों की मौत हुई है तो इसका संज्ञान लेते हुए हम अपनी टीम से सर्वे करवाएंगे। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ भी कहा जा सकता है।


(स्रोत : दैनिक भास्कर)

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