सऊदी अरब की अनदेखी पर भारत की देख लेंगे वाली रणनीति, जानिए क्या है तेल का खेल
नई दिल्ली, प्रेट्र। तेल उत्पादन कटौती मामले में भारत के आग्रह की अनदेखी सऊदी अरब को भारी पड़ती दिख रही है। केंद्र ने सभी सरकारी रिफाइनरियों को सऊदी के साथ कच्चे तेल की खरीद से जुड़े अनुबंधों की समीक्षा करने को कहा है। साथ ही कंपनियों को बेहतर शर्तो पर सौदा तय करने का निर्देश दिया गया है।
कीमतें और अनुबंध की शर्ते तय करने के मामले में उत्पादक देशों की गुटबाजी तोड़ने के लिए सरकार ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन को अन्य क्षेत्रों में तेल खरीद की संभावना पर कदम बढ़ाने को कहा है। साथ ही उनसे एकजुट होकर अपनी शर्तो पर आपूर्तिकर्ताओं से बात करने को कहा गया है।
भारत अपनी जरूरत का 85 फीसद पेट्रोलियम आयात करता है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर आपूर्ति और कीमतों से यहां बड़ा फर्क पड़ता है। कोरोना काल में मांग घटने और कीमतें बहुत नीचे पहुंचने के बाद तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन में कटौती का फैसला किया था। मांग सामान्य होने के बाद भी कटौती जारी रहने से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू हो गया। पिछले महीने भारत ने सऊदी अरब से आग्रह किया था कि उत्पादन में कटौती पर पुनर्विचार करे और उत्पादन बढ़ाए। इससे कीमतों को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी। सऊदी ने भारत के इस आग्रह की अनदेखी कर दी। यहां तक कि उसके मंत्री ने भारत को अपने रिजर्व से तेल इस्तेमाल की सलाह दे दी। इस पर केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने दो टूक शब्दों में कहा था कि भारत की इस बारे में अपनी रणनीति है कि अपने भंडार का इस्तेमाल कब और कैसे करना है। उस समय प्रधान ने यह कहते हुए भी सऊदी को सख्त संदेश दिया था कि भारत अपने हितों को लेकर सतर्क है। जो सस्ता और बेहतर शर्तो पर तेल देगा, भारत उसी से खरीदेगा।
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