इतिहास रचयिता
विध्नों से नहीं
घबराते हैं,
कष्टों में भी मुस्काते हैं |
इतिहास रचयिता जो होते,
काँटों में राह बनाते हैं |
कोई काम नहीं ऐसा जग में,
जो वीर नहीं कर सकते हैं |
जो ठान
लिया सो ठान लिया,
पूरा कर के ही रुकते हैं |
साथ किसी का मिले
न मिले,
खुद आगे बढते जाते हैं |
तकदीर की बातें
करते नहीं,
कर्मों पे भरोसा करते हैं |
अवसर की प्रतीक्षा
करते नहीं,
अवसर वे पैदा करते हैं |
प्रतिकूल समय की परवा (ह) नहीं,
प्रतिकूल हवा में बढते हैं |
कुछ लोग खफा उनसे रहते,
जिनका है स्वार्थ नहीं सधता |
पर जीता
जो जग की खातिर,
खुश एक को कैसे कर सकता ?
हो सकता
जितना उनसे,
कर्त्तव्य निभाते जाते हैं |
सबकी खातिर वे जीते
हैं,
वे सब पर प्यार लुटाते हैं |
दूसरों की नहीं
वे नकल करते,
इतिहास नही दोहराते हैं |
इतिहास नया वे रचते
हैं,
इतिहास पुरूष कह्लाते हैं |
n कृष्ण बल्लभ शर्मा “योगीराज”
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